ज्ञान के अनेको नाम हैं । और उसी तरह इनकी चर्चे हैं पुरे लोको में। लेकिन इनहे ढूँढें तो मिले नहीं, परंतु ये सभी जगह हमेशा विद्यमान रहती हैं । ये है क्या किसी को समझ नहीं आता , अगर किसी के पास हो तो ओ पुरूष ही नही महापुरुश बना देती हैं, ना हो तो ओ क्या है ओ भी नहीं जनता । जब ओ जनता है तो वह सब कुछ पा लेतें हैं, मानो उसे अमृत प्राप्त हो गई हो।...............
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